Tuesday, August 2, 2011

facebook discussion: अन्ना जी क्या कर रहे है

"-मेरे प्यारे दोस्तों आप सभी को पता है अन्ना जी क्या कर रहे है?
-क्या आपको लगता है जो अन्ना जी कर रहे है वो सही है?

-और इसको करने का यही सही तरीका है?

-क्या अन्ना जी भारत की संवेधानिक व्यवस्था को धमका नहीं रहे?

-या हमारे देश की जनता सही candidates को नहीं चुनती है?

-इसलिए अब अन्ना जी सीधे संसद को घेरने की तयारी में है?

-क्या अन्ना वास्तव में ११० करोड़ लोगो का प्रतिनिधित्व करते है?"



आइये सवालों को एक एक कर लेते हैं.

Q1: “मेरे प्यारे दोस्तों आप सभी को पता है अन्ना जी क्या कर रहे है?”
A: सवाल थोडा मुशकिल है मगर फिर भी ये कहा जा सकता है कि वो देश के उज्जवल भविष्य का सपना देख रहे हैं.

Q2: “क्या आपको लगता है जो अन्ना जी कर रहे है वो सही है?”
A: Justice D S Tewatia, Kiran Bedi, Mallika Sarabhai, Swami Agnivesh, Sri Sri Ravishankar, Arcbishop Vincent M Concessao, B R Lalla इत्यादि की मैं कदर करता हूँ और उन्ही की तरह मुझे भी यही लगता है कि अन्ना हजारे शायद सही कर रहे हैं और इससे भ्रष्टाचारी मुश्किल में पड़ जायेंगे.
वैसे Sharad Pawar, Kapil Sibbal, P Chidambaram, Digvijay Singh इत्यादि सोचते हैं कि अन्ना हजारे गलत कर रहे हैं क्योंकि वो ‘जानते हैं’ कि इससे भ्रष्टाचारी मुश्किल में पड़ जायेंगे.

Q3: “और इसको करने का यही सही तरीका है?”
A: यह भी एक तरीका है. सही और गलत सिर्फ comparative है. और बहुत से तरीके हैं और उन पर भी कोशिशें जारी हैं. मगर भाई ये बात इतनी आसान नहीं है कि कोई एक तरीका अपनाएँ और मिनटों में भ्रष्टाचार से छुटकारा पाएं. ये एक छोटा सा कदम है.

Q4: “क्या अन्ना जी भारत की संवेधानिक व्यवस्था को धमका नहीं रहे?”
A: थोडा कानूनी पक्ष “the opening word of the Constitution of India is ‘WE THE PEOPLE’ it means the constitution is framed by the people”.
और आप पूछ रहे हैं कि क्या people, यानी अन्ना जी इत्यादि भारत की संवेधानिक व्यवस्था को धमका नहीं रहे. अगर आप असली मायने में देखें तो क़ानून के जानकारों के साथ मिलकर अन्ना जी द्वारा उठाया गया ये कदम भारत की संवेधानिक व्यवस्था को और मजबूती प्रदान करेगा.

Q5: “या हमारे देश की जनता सही candidates को नहीं चुनती है?”
A: अफ़सोस भारत कि electorate अभी उतनी परिपक्व नहीं है. अभी भी वह भावनाओं में बह जाती है. और बाकी चारों ओर वही ‘व्यवस्था’ है जिसके खिलाफ आज समाज के बुद्धिजीवी वर्ग को उठ कर सामने आना पड़ रहा है. फिलहाल गलती दोनों ओर से ही हो रही है. चुनने वालों से भी और चुने जाने वालों से भी.

Q6: “इसलिए अब अन्ना जी सीधे संसद को घेरने की तयारी में है?”
A: संसद को घेरने का idea आपको पता नहीं कैसे आया. लेकिन अगर आपका ये कथन ‘symbolic’ है तो मैं यही कहूँगा कि अन्ना जी अकेले तो शायद संसद को न घेर पायें. लेकिन अगर ऐसी सोच रखने वाले, कानून की ऐसी समझ रखने वाले और देशभक्ति का ऐसा माद्दा रखने वाले अन्य लोग साथ हैं तो अन्ना जी जरूर संसद के दरवाजे पर दस्तक तो दे ही देंगे.

Q7: “क्या अन्ना वास्तव में ११० करोड़ लोगो का प्रतिनिधित्व करते है?”
A: भाई आपके ७ सवालों में ये अकेला सवाल है जिसका में तात्पर्य नहीं समझ पाया. फिर भी क्योंकि आपने आंकड़े रखे हैं तो मैं कुछ और आंकड़े जोड़ दूँ... ECI की रिपोर्ट के अनुसार २००९ के जनरल इलेक्शन में कांग्रेस को कुल 119111019 यानी कुल १२ करोड से कम वोट मिलीं. और आप कोई सवाल नहीं उठा रहे. अन्ना से पूछ रहे हैं कि क्या आप ११० करोड लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं. क्या कोई कर सकता है ११० करोड लोगों का प्रतिनिधित्व? क्या ये जरूरी है? अगर इससे कम हो तो क्या वो भ्रश्टाचार के खिलाफ आवाज नहीं उठा सकता?
1 August 2011

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