यहाँ दो तरह के किस्से हैं. एक तो वो जहाँ पूरा नाम ही बदला जाता है, मसलन चांदनी चौक के बारे में सुना है कि इसका नया नाम सचिन के नाम पर रखा जा रहा है. ये बड़ा ही सेंसिटिव होता है और हमें इतिहास और परंपरा का सदैव ध्यान रखना चाहिए व आदर करना चाहिए. अवांछनीय तौर पर जनता की जुबान पर चढ़े नामों के साथ छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए. पर साथ ही जबरदस्ती के आतंक्तायिओं, हमलावरों व विदेशियों के नामों पर रखे अपने शहरों व चौकों के नाम बदल लेने चाहियें.
और दूसरा वो जहाँ उच्चारण सही किया जाता है मसलन अंग्रेजी के कैलकटा या हिंदी को कलकत्ता की जगह सही बंगाली उच्चारण कोलकाता. तो इसे में बिलकुल बुरा नहीं मानता. मैं आज भी 'न्यू देल्ही' की जगह 'दिल्ली' लिखना और बोलना ज्यादा पसंद करता हूँ. अच्छा लगेगा अगर विश्व भी इसे दिल्ली के नाम से जानेगा.
और दूसरा वो जहाँ उच्चारण सही किया जाता है मसलन अंग्रेजी के कैलकटा या हिंदी को कलकत्ता की जगह सही बंगाली उच्चारण कोलकाता. तो इसे में बिलकुल बुरा नहीं मानता. मैं आज भी 'न्यू देल्ही' की जगह 'दिल्ली' लिखना और बोलना ज्यादा पसंद करता हूँ. अच्छा लगेगा अगर विश्व भी इसे दिल्ली के नाम से जानेगा.
21 February 2012
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